मुजफ्फरपुर। 500 व 1000 के नोटबंदी के बाद पहली बार जिले के सिवाईपट्टी थाना क्षेत्र में जाली नोट पकड़े गए हैं। 49 हजार के नकली नोट को उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की टेंगरारी शाखा में जमा करने का प्रयास किया जा रहा था। सभी 98 नोट पांच सौ रुपये मूल्य के थे। मौके से थाना क्षेत्र के नकनेमा गांव के युवक दीपलेश कुमार को पकड़ लिया गया। पूछताछ में बताया कि वह पिता के रुपये जमा करने आया था। उसके पिता विश्वनाथ दास फरार बताया जा रहा है।
जाली नोट व नक्सलियों के संबंध तलाश रही पुलिस
पुलिस दीपलेश के बयान को भ्रमित करने वाला बता रही है। पुत्र के माध्यम से बैंक में रुपये जमा कराना एक बड़ी साजिश का हिस्सा मान रही है। कई जिलों के बार्डर पर स्थित देहाती क्षेत्र के ग्रामीण बैंक में ऐसे नोट खपाने का यह प्रयास जाली नोट के धंधेबाज व नक्सलियों का ट्रायल तो नहीं है। सिवाईपट्टी को जिले का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। पुलिस जाली नोट के कारोबार को नक्सली व नेपाली कनेक्शन की भी जांच कर रही है।
पहली नजर में नकली
बैंक मैनेजर राजेश कुमार ने बताया कि दीपलेश कुमार अपने पिता के खाते में 49 हजार रुपये जमा करने आया था। उसने जमा पर्ची के साथ रुपये उनके हाथ में थमाए। पहली ही नजर में रुपये जाली लग रहे थे। जब इसकी गंभीरता से जांच की गई तो सभी नोट जाली निकले। बैंक की सुरक्षा व्यवस्था की जांच कर रहे सिवाईपट्टी थाना के एएसआइ सुनील कुमार दत्त को इसकी सूचना दी गई। उन्होंने युवक को मौके पर ही अपने कब्जे में ले लिया। उनकी सूचना पर पहुंचे थानाध्यक्ष परवेज अली उसे हिरासत में लेकर रुपये जब्त कर लिए।
दावा, नेपाली बार्डर पर मिले रुपये
दीपलेश ने दावा किया है कि जाली और असली रुपये की उसे पहचान नहीं है। उसका पिता नेपाल में राजमिस्त्री हैं। छह माह काम करने के बाद छठ में वे घर आए थे। बार्डर पर करेंसी बदलने वाले टेबल लगाकर बैठे थे। उसी से ये रुपये बदले गए। ये रुपये घर में ही रखे थे। जब पांच सौ के रुपये बंद होने का आदेश जारी हुआ तो उसके पिता ने ये रुपये बैंक में जमा करने के लिए दिया था।


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